
मुख्य नगर पालिका अधिकारी खरसिया के निलंबन की मांग
रायगढ़। खरसिया नगर पालिका में राज्य सरकार के प्रोटोकॉल नियमों का उल्लंघन करते हुए नगर पालिका अधिकारी विक्रम भगत द्वारा कांग्रेस पार्टी को लाभ पहुंचाने के आरोप सामने आए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं में इस मुद्दे को लेकर भारी आक्रोश है और अब मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) के निलंबन की मांग उठ रही है।
क्या है पूरा मामला?
विगत कुछ दिनों पूर्व खरसिया नगर पालिका के दीनदयाल परिसर भवन में कांग्रेस द्वारा नगर सरकार के माध्यम से करोड़ों रुपये के विकास कार्यों का भूमि पूजन समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विधायक उमेश पटेल को मुख्य अतिथि बनाया गया, जबकि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार इस शासकीय कार्यक्रम का आयोजन नगर पालिका प्रशासन द्वारा किया जाना था।
राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, ऐसे शासकीय कार्यक्रमों में नगरीय क्षेत्र के प्रभारी मंत्री, लोकसभा सांसद, क्षेत्रीय विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ आम जनता को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए था। लेकिन मुख्य नगर पालिका अधिकारी विक्रम भगत पर आरोप है कि उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मिलीभगत कर यह कार्यक्रम गुप्त रूप से कांग्रेस के पक्ष में आयोजित कराया।
भाजपा नेताओं को नहीं दी गई जानकारी
- करोड़ों के विकास कार्यों का भूमि पूजन कांग्रेस द्वारा अपने निजी कार्यक्रम के रूप में प्रचारित किया गया।
- शिलान्यास पट्टिका में राज्य के प्रभारी मंत्री राम विचार नेताम, लोकसभा सांसद राधेश्याम राठिया और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव का नाम तक शामिल नहीं किया गया।
- नगर पालिका अधिकारी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को इस सरकारी कार्यक्रम की कोई सूचना तक नहीं दी।
- कार्यक्रम के लिए नगरी प्रशासन विभाग से अनुमति नहीं ली गई और ध्वनि विस्तारक यंत्रों की भी बिना अनुमति उपयोग किया गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष
मुख्य नगर पालिका अधिकारी विक्रम भगत के इस कदम से भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उनका मानना है कि नगर पालिका अधिकारी कांग्रेस के पक्ष में कार्य कर रहे हैं और आगामी निकाय चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखते हैं।
भाजपा की मांग: तत्काल निलंबन और उच्च स्तरीय जांच
भाजपा नेताओं ने मांग की है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी विक्रम भगत को तत्काल निलंबित किया जाए और इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे वृहद स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।